शहीदी दिवस पर झज्जर के गांव पाटौदा में प्रदेश स्तरीय समारोह

शहीदी दिवस समारोह में संबोधनसबसे पहले बीजेपी प्रदेशाध्‍यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ का धन्यवाद , उनका आभार है कि वे समारोह का हिस्सा बने।मुझे इस बार भी यह भय था कि मैं नेताओं को बुलाऊं और कहीं वे ना आएं। क्योंकि, रेवाड़ी के इलाके में आयोजित कार्यक्रम में मनोहर परिकर नही आये थे। अब सभी सांसद हमारे बीच आएहैं, हमारा मनोबल बढ़ाने के लिए आए हैं, इनका धन्यवाद करता हूं।अगर मैं शहीदों की तरफ से इनका धन्यवाद नहीं करूंगा तो हरियाणा में कौन करेगा। 1947 की बात करते हुए कहा, अगर चंद घण्टे और बीत जाते तो कश्मीर हमारे पास नहीं रहता। नरेंद्रभाई मोदी ने कश्मीर से दो झंडे के विधान को खत्म किया है। आज के माहौल में शास्त्री जी का भी जिक्र होना चाहिए, उन्होंने नारा दिया था कि हमारी सुरक्षा करने वाला कौन है, कौन पेटभरता है। आज किसान का बेटा सीमा पर नहीं खड़ा होता तो चीन और पाकिस्तान हमारे साथ कैसा व्‍यवहार करते ये आप सोच सकते हैं। आज इनका एक नया साथी तालिबान भी आ गया है।सेना के साथ हम राजनीतिक लोगों का भी फर्ज है।1971 के बाद भी हमारे विरोधी आज भी शांत नही हैं। हमें सोचना होगा क्या हमारे पुराने नेताओं ने वाजिब फैसले लिए।जब हमने सभी को माफ किया था। कारगिल के युद्ध में भी हमारे हाथ काफी हद तक बांध दिए गए थे, पाकिस्तान की हद तक में जाने की छूट नहीं थी फिर भी हमने जीत हासिल की।हमारी राजशाही तो अंग्रेज़ो ने छीन ली थी, लेकिन, मुझे या मेरे परिवार को अगर कोई सम्मान देता है तो उसका स्नेह है।अगर मैं गलत होता तो क्या बार बार लोग मुझे चुनते। अगर हमें बार बार चुना तो उसका एक ही कारण है, हम जनता की आवाज उठाते हैं। नेता कैसे बनते हैं, यह भी मैंने सीख लिया। या तोपार्टी आपको पैराशूट से भेज दे, या जनता स्पोर्ट करे। पूरी प्रक्रिया में क्या दिक्कत होती है, मुझे पता है।मुझे फक्र है, मैं नीचे से आया हूं। मैं ऊपर से इसलिए नहीं आ सकता, क्योंकि पब्लिक मेरे साथ है। मैं आज तक सिर्फ वोट लेने वाला नेता नहीं बन पाया हूं। भजनलाल की सरकार में मैं मंत्रीथा, लोगों से कहता था, जिस दिन आपके पास ताकत आये, जनता की बात सुनो और काम करो और उनके मन पर छा जाओ।10 सीट दूसरी बार भाजपा को मिली। हम इसका धन्यवाद भी नहीं कर पाए। हरियाणा के चुनाव में हम 90 में से 75 की उम्मीद कर रहे थे। जहां हम 100 फीसद थे वहां 50 फीसद भी नहींरहे। धनखड़ जी बड़े सहनशील हैं। मैं पार्टी को कहना चाहता हूं, मैं जिस थाली में खाता हूं उसमें कभी छेद नहीं करता।मैं भाजपा का सांसद हूं, नरेंद्र भाई का वजीर हूं। धनखड़ जी तो हमारे साथी हैं, यहां कुछ संघ वाले भी बैठे होंगे बीच में। मुझे पार्टी से कुछ नहीं चहिए, बहुत कुछ मिल रहा है। लेकिन, चहिएतो मेरी और मेरे साथियों की इज्जत चाहिए।हम 47 पर ही क्यों सीमित रह गए, जिस एरिया में कांग्रेस की तूती बोलती थी, यहां भी कांग्रेसियों को पहली बार आप सभी ने मिलजुल कर हराया, पता नहीं कंहा से नारा ले आये 75 पर।हमें भी लग रहा था कि 80 तक पहुंच गए। अहीरवाल में भी कुछ सीट जयचंद की वजह से हार गए। मैं पूछता हूं, क्या हम अहीरवाल की ही लड़ाई लड़ेंगे या पानीपत की भी लड़ाई लड़ेंगे। क्याहमने जितना योगदान दिया, क्या हमें उतना इनाम नहीं मिला। इसका जवाब नही चाइये मैं आपके विवेक पर छोड़ता हूं।साथियो को कहना चाहता हूं, मैंने अपना ईमान नहीं खोया है। कालेज की जमीन का विवाद छिड़ गया, कोई बताए कि क्‍या इंद्रजीत 30 साल बाद जमीन बेचकर खायेगा। क्या मैं 30 सालजीऊंगा। मुझसे अपनी जमीन नहीं संभलती। मैं अपनी जमीन बेच दूंगा, बहुत है मेरे पास। इसमें रत्ती भर भी भ्रष्‍टाचार नहीं हुआ है। दुश्‍मनों को कहना चाहता हूं, इंद्र जीत सिंह रिटायर होनेवाला है, इसको रगड़ दो। पर अब मैंने मन बना लिया है, की अब रिटायर नहीं होऊंगा। सेहत से दुरुस्त हूं, ना कोई मेंटल प्रॉब्लम है, ना मिर्गी आती है और ना ही कमजोर हूं। मैं मरीजों केखिलाफ, अपाहिजों के खिलाफ नहीं लड़ता।जो किन्हीं कारणों से बाहर हैं, वे भी पार्टी के अंदर आ जाएं।